Bharat Ratna : चौधरी चरण सिंह, जो किसानों के हक में हर जगह खड़े दिखते थे, नेहरू तक से भिड़ गए

केंद्र सरकार ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से नवाजा था. वह देश के पूर्व प्रधानमंत्री रहे हैं. ऐसे नेता थे जिनके दिल में हमेशा किसान और गांव होते थे. सही मायनों में वह सियासत के साथ ग्रामीण भारत को लेकर एक बड़े थिंकर भी थे. देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न देकर एक तरह से केंद्र ने किसानों के प्रति अपनी प्राथमिकता उजागर की है
84 साल की उम्र में चौधरी चरण सिंह का 29 मई 1987 को दिल्ली में निधन हो गया था. उनका जन्म 23 दिसंबर 1902 में हापुड़ में नूरपुर गांव में जाट परिवार में हुआ था. वैसे तो करियर की शुरुआत उन्होंने वकालत से की लेकिन गांधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेते हुए राजनीति में आए. चरण सिंह ने अपने जीवन में कई दल बनाए और तोड़े. वो सादगी पसंद थे. उन्हें कई बातें सख्त नापंसद थीं. जिसमें एक ये थी कि वह शराब पीने वालों को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे.
वो फिजूलखर्ची जरा भी बर्दाश्त नहीं करते थे. क्रिकेट और फिल्मों से सख्त नफरत थी. शराब से तो दूर रहते ही थे. अगर उन्हें मालूम भी हो जाए कि अमुक शख्स शराब का सेवन करता है, वो उससे कभी बात करना भी पसंद नहीं करते थे.
